जब आप असंख्य धोखों से
तकलीफों से गुजरे होते है,
कंही आपका हृदय दर्द
से लथपथ होता हैं,
जब अपनों के घोंपे गए
खंजर की नोक चुभती हैं,
जब नितांत मन
अकेला होता हैं,
जब निराशा और
चुप्पी साथ हो लेती हैं,
जब शाम की शीतलता
आँखों के कोरो को
नम कर जाती हैं,
जब चाँद से मन
दुःख बांटने लगे,
जब पुरवाई भी
नमकीन सी लगने लगे,
जब हो जीवन मे घुप्प अंधेरा,
तब कंही से आती हैं
सागर से टकराती हुई
एक सुंदर हवा,
एक चमकीली किरण,
एक प्रेम का स्पर्श
जो सारे ज़ख्म,सारे दर्द,
सारे घाव केवल प्रेम से
भर देता हैं,
इत्मीनान रखिये
हर रात की एक सुबह है।
डिम्पल राकेश तिवारी
अयोध्या, उ0प्र0