बरकत

कमाई में अपने बरकत रहे सदा,

वक्त गुजारूँ प्यार की जरूरत रहे सदा।


चलता रहूं यूं दुनिया की भीड़ में।

समाज में बनी इज्जत रहे सदा।


दिखावे में मैं क्यों जिऊँ यहांँ,

कृपा से उसकी, साथ किस्मत रहे सदा।।


रहते हैं छोटे से घर में यहांँ

करूं प्रार्थना मोहब्बत रहे सदा।


भूलकर मधु दुनिया के सारे झमेले।

आशियाना मेरा सलामत रहे सदा।।


                  रचनाकार ✍️

                  मधु अरोरा