ज्योती जल रही है ,
धीरे-धीरे आगे ,
निकल रही है l
जो ईमानदार हैं,
उनसे खुश रहते हैं ,
बेईमानों की टोली,
हाथ मल रही है ।
अच्छा खाती अच्छा पीती,
अच्छा सिखाती है ,
लोगों को हंसी खुशी ,
उन्नति मिले ऐसी बातें बताती है l
बड़ा जज्बा बड़ा हुनर ,
बड़ा करेजा रखती है ,
किसी भी बात का ,
अभिमान वो ना करती है ।
सीधा सरल जीवन है ,
उनकावे सदा निर्भर है ,
नफरत नहीं किसी से ,
उनको वह तो बड़ी दिलदार है ।
रामगढ़ में एक ,
ज्योती जल रही है ,
विरोधियों की टोली ,
उनसे सदा विफल रही है ।
ज्योती नव्या श्री के बारे में,
क्या कहें कुछ कहा नहीं जाता है ,
वह गुरुवर हमारी हैं बिना कहे,
हमसे रहा भी नहीं जाता है ।
✍️अशोक पाल
रामनगर, भदोही ,उत्तर प्रदेश