जरूर
किसी अनमनी सुबह में
एक चिड़िया
चहक कर
लिख गई होगी
सृष्टि का पहला प्रेम-गीत ,
वृक्षों ने सहर्ष स्वीकारा होगा उसे
स्नेहिल मन से और प्रेषित कर दिया
समस्त फूलों में ,
तभी से
अनवरत घुले चले आ रहे हैं हवाओं में
वही वृंद गान ,
जो गुनगुना लेते हैं हम
एक-दूसरे की कविताओं में !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ , उत्तर प्रदेश