कक्षा 1 से 3 के बच्चों ने कविता पाठ, कक्षा 4 से 6 के बच्चों ने दोहा पाठ, कक्षा 7 से 8 के बच्चों ने श्लोक पाठ किया। कार्यक्रम में प्रथम वर्ग में कक्षा 1 की छात्रा गज़लीन कौर वाज़वा ने जल ही जीवन है जैसे महत्वपूर्ण विषय पर कविता सुनाई। कक्षा-1 के आयुष्मान हरित ने आसमान में चमचम तारे ,कक्षा 2 के अक्षित ने मिर्च की वेशभूषा में मिर्च की ही कविता सुनाई। रूही बजाज ने गुरु, परी सचदेवा ने शिक्षक तथा शताक्षी ने शिक्षा पर मनमोहक कविता के रूप में अपने विचार प्रस्तुत किए। कक्षा 3 के कुलशन वत्ता ने पर्वत की सीख के रूप में कविता सुनाई।
द्वितीय वर्ग में कक्षा 4 से 6 तक के बच्चों ने दोहों के रूप में अपने विचार प्रस्तुत किए। जिनमें कक्षा चार के अंश सैनी ने ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोये, ऋषभ गुंबर ने तुलसीदास जी का दोहा तुलसी इस संसार में भांति भांति के लोग सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। आयुष पंवार ने बोली की मिठास के बारे में दोहा सुनाया। कक्षा 5 के निकुंज चंडोक ने दुख में सुमिरन सब करें सुख में करें ना कोय ,सक्षम त्यागी ने बुरा जो देखन में चला बुरा ना मिलिया कोय, रिद्धिमा दीक्षित ने गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय तथा वैभव डाबस ने संतों की महिमा पर दोहा सुनाया।
कक्षा 6 के प्रखर भारद्वाज ने गुरु महिमा पर सुंदर दोहा सुनाया ऋषि सोनी ने बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर और साक्षी गुंबर ने पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया ना कोय दोहे को बड़े सुंदर रूप में प्रस्तुत किया। तृतीय वर्ग में कक्षा 7 के निर्मित अचरेजा ने धनधान्य प्रयोगेषु विद्यायारू संग्रहेषु च नामक दोहा, विधि माहौर ने- अयं निजरू परो वेति, शताक्षी पंवार ने सर्वे भवंतु सुखिनः, मोहन गुप्ता ने -पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि, रजत राजदेव ने वाणी की महत्ता, मानस ग्रोवर ने -गुरुरू ब्रह्मा गुरुरू विष्णु, अनमोल मल्होत्रा ने देवो रुष्टे गुरुस्त्राता तथा गोपी गगनेजा ने गुरु की महत्ता को बताते हुए श्लोकों की सुन्दर प्रस्तुति की। स्कूल अध्यापिका श्रीमती संगीता शर्मा ने श्लोकों की महिमा के बारे में विस्तार से बताया।
कार्यक्रम में निर्णायक मण्डल में श्रीमती पीयूष प्रभा, श्रीमती नीना भाटिया, श्रीमती सरबजीत कौर निर्णायक की भूमिका में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्य श्री राजीव कुमार शुक्ला जी ने कहा कि हिंदी साहित्य पाठ पढ़े और पढ़ाये। हिंदी में प्रत्येक शब्द का एक विशेष महत्व होता है। हिंदी एक समृद्ध भाषा है। हम सब हिंदी भाषा के बच्चे है, भाषाएं और माताएं अपने बेटों से महान होती है इसलिए अपनी भाषा, अपने साहित्य का सम्मान करें। साहित्य में एक साहित्यकार सदैव जिन्दा रहता है इसीलिए हमें पुरे वर्षभर में कम से कम 12 पुस्तके अवश्य पढ़नी चाहिए।