मौन व्रत

कैसे अपनी बाते कहते

समझो अगर हम मौन हो जाते।

कैसे हम सबको समझाते।

बिन बोले कैसे जी पाते।

अगर कभी हम मौन हो जाते।

मन की पीड़ा कैसे बताते।

कैसे अपनी बाते कहते।

समझो अगर हम मौन हो जाते।

करते थे उपवास भी हम सब

मौनी अमावस्या को मनाते।

गंगा के तट पर सब जाते।

बिन बोले सब बात बताते।

कैसे अपनी बाते कहते।

समझो अगर हम मौन हो जाते।

करता कभी अपराध जो कोई

मौन रहो कहता हर कोई।

संविधान ने भी समझाया।

मौन रहने का अधिकार है पाया।

कैसे अपनी बाते कहते।

समझो अगर हम मौन हो जाते।

बिन बोले न हम जी पाते।

कैसे अपना दर्द छिपाते।

अपनी पीड़ा कैसे बताते।

कैसे अपना हाल सुनाते।

कैसे अपनी बाते कहते।

समझो अगर हम मौन हो जाते।

दर्द अगर कभी हमको होता।

बिन बोले तो मन भी रोता।

मौन व्रत को धारण करते।

बिन बोले कैसे दिन कटते।

कैसे अपनी बाते कहते।

समझो अगर हम मौन हो जाते।

हर कोई हमको मूक बताता।

वाणी का जादू न चल पाता।

मन ही मन तो हम घबराते।

पीड़ा हो कितनी हम सह जाते।

कैसे अपनी बाते कहते।

समझो अगर हम मौन हो जाते।

समझो अगर मन मौन हो जाते।


✍️ राखी कौशिक धामपुर बिजनौर