लोकसभा चुनाव में मुसीबत बन सकता है, सरकार का यह निर्णय !

उत्तर प्रदेश के निवासियों में तेजी से हलचल मची हुई है, वजह राज्य सरकार का एक फ़रमान, जिसे जिलाधिकारियों के माध्यम से पूरा कराने का कार्य तेजी से चल रहा है | यह विषय ऐसा है, जिसे हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को जिताने में अहम् योगदान के रूप में माना जा रहा था | जिसका लाभ प्रदेश के लोगों द्वारा लिया जा रहा है, जिन्हें इसकी वजह से चुनाव में लाभार्थी वर्ग की भी संज्ञा दी गयी है | परन्तु अब सरकार द्वारा जो कड़े कदम उठाये जाने की शुरुआत कर दी गयी है, उसका दूरगामी परिणाम अवश्य दिखेगा, पर परिणाम सकारात्मक होगा या फिर नकारात्मक इसका सिर्फ आकलन किया जा सकता है | 

आज इस लेख के माध्यम से बात राशन कार्ड पर जारी किये गए आदेश की हो रही है | उत्तर प्रदेश की अनुमानित वर्तमान आबादी तकरीबन 25 करोड़ है जिसमे 40.92 लाख अन्त्योदय कार्ड धारकों के जरिये उनके परिवार के कुल 1.32 करोड़ लाभार्थी राशन का लाभ ले रहे है, जबकि पात्र गृहस्थी में जारी राशन कार्डो की संख्या 3.20 करोड़ है और इनके परिवार जनों की कुल लाभार्थी संख्या 13.64 करोड़ है | यानि की 14.96 करोड़ लोग राशन का लाभ प्राप्त कर रहें है जो कुल अनुमानित आबादी का लगभग 60% है | यह आकड़ें अपने आप में चिंता का विषय है जिस प्रदेश की इतनी बड़ी आबादी फ्री की व्यवस्था पर निर्भर है उसका विकास कैसे हो सकता है ?

राशन कार्ड धारकों को कार्ड आत्मसमर्पण करने के लिए योग्यता के मानकों के साथ निर्देश जारी किये गए है, जिसमे स्पष्टतः इस बात का उल्लेख है कि, अपात्र कौन है, जिन्हें स्वेच्छा से कार्ड को सम्बंधित क्षेत्रीय खाद्य कार्यालयों में जमा कराना है, अन्यथा की स्थिति में अपात्र पाये जाने की स्थिति में नियमानुसार कार्यवाही अमल में लायी जाएगी, जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व राशन कार्ड धारक का होगा | 

ग्रामीण क्षेत्र में यह लोग राशन कार्ड के लिए अपात्र है – (क) यदि कार्ड धारक आयकर दाता है (ख) परिवार में चार पहिया वाहन या ट्रैक्टर या परिवार में हारवेस्टर है (ग) परिवार में ए.सी. है या 05 केवीए या उससे अधिक क्षमता का जनरेटर है (घ) परिवार में 5 एकड़ या उससे अधिक सिंचित भूमि है या परिवार में एक से अधिक शस्त्र लाइसेंस हो | (च) परिवार के समस्त सदस्यों की वार्षिक आय दो लाख से अधिक हो | 

जबकि शहरी क्षेत्र में यह लोग राशन कार्ड के लिए अपात्र है – (क) यदि कार्ड धारक आयकर दाता है (ख) परिवार में चार पहिया वाहन है (ग) परिवार में ए.सी. है या 05 केवीए या उससे अधिक क्षमता का जनरेटर है (घ) परिवार के पास 100 वर्ग मीटर या उससे अधिक स्वअर्जित आवासीय प्लाट या 50 वर्ग मीटर अथवा उससे अधिक का व्यावसायिक भू-भाग हो (च) परिवार के समस्त सदस्यों की वार्षिक आय तीन लाख से अधिक है |

यह मुहीम सरकार द्वारा तेजी से चलयी जा रही है, परिणाम स्वरुप अनेकों लोगों ने कार्ड जमा करना प्रारम्भ भी कर दिया है जहाँ सरकार का इस विषय पर यह कार्य करना सराहनीय है, वहीं दूसरी तरफ प्रश्न यह भी उठता है कि जब प्रदेश में चुनाव था तो केंद्र और राज्य दोनों ने मिलकर महीनों पहले फ्री राशन में और सहूलियतें जोड़ने लगी और आम लोगों को इसका लाभ मिलने लगा जबकि कई ऐसे राज्य रहें है जहाँ केंद्र सरकार ने फ्री का राशन नहीं दिया है | 

सामाजिक भिन्नता, सीमित आय, अधिक वास्तविक बेरोजगारी, सीमित रोजगार के अवसर, दिन-प्रतिदिन महंगाई का तेजी से बढ़ना और कुछ न करने की मानसिक सोच ने राशन कार्ड धारकों की संख्या में तेजी से इजाफा किया है | कोरोना काल में जहाँ राशन देना सरकार की दूरदर्शिता को दिखाता है वही चुनावी समयावधि में राशन का फ्री वितरण कई प्रश्नों को एक साथ जन्म भी दे रहे है | वास्तव में देखा जाए तो इस विषय पर किया जा रहा खर्च बड़ी धनराशी का है जिसका वहन सरकार कर रही है और कही न कही आम जन के हित की अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं और जरूरतों को दरकिनार करके राशन पर पैसे खर्च किये जा रहे है | 

आम जनता यह भी सवाल कर रही है कि जब नए राशन कार्ड जारी किये जा रहे थे उस समय पात्रता का ध्यान क्यों नहीं दिया गया | इस अफरातफरी और अज्ञानता के माहौल में इस विषय के चलतें सरकार के प्रति एक नकारात्मक अवधारणा धीरे –धीरे लोगों के मन में पनपने लगी है | जिसका खामियाजा आगामी चुनाव में उठाना पड़ सकता है |

जमीनी रूप से देखा जाय तो जिस प्रदेश की आबादी का कुल 60 प्रतिशत हिस्सा फ्री की व्यवस्थाओं पर पल रहा हो उस प्रदेश का आपेक्षित विकास को पूरा करने में दशकों लग सकते है, क्योंकि सरकार के अतिरिक्त जनता का भी नैतिक दायित्व है की राज्य और देश हित में व्यक्तिगत हित के पहले सोचे और कार्य करें, पर राशन के लालच में कई बातें पीछे छुटचुकी है | राज्य सरकार को इस विषय पर पारदर्शिता लाने के लिए स्पष्ट रूप से आम जनता के बीच संवाद स्थापित करना चाहिए और यह विभिन्न समाचार पत्रों के जरिये यह बताना चाहिए की वास्तव में ऐसा कदम अभी क्यों उठाया जा रहा है |

 इस विषय पर सम्बंधित विभाग के मंत्री प्रेस कांफ्रेंस करके सही जानकारी जनता के समक्ष रख सकते है | प्रत्येक क्षेत्र के विधायक अपने क्षेत्र में चौपाल, बैठक आयोजित करके समग्र जानकारी इस विषय पर दे सकतें है | ऐसा जरुरी इसलिए है कि आम जनता में जहाँ इस विषय को लेकर अज्ञानता है, वही भविष्य के प्रति डर भी है कि जीवन को कैसे चलाया जायेगा | जिन मानकों का आधार अपात्र लोगों के लिए दिया गया है उसकी स्वयं में जरूरत ही नहीं पड़ती यदि आम जन के पास रोजगार/स्वरोजगार के अवसर की उपलब्धता होती | 

वर्ष 2024 में केंद्र की सत्ता के लिए चुनाव हैं उस पर कोई नकारात्मक प्रभाव लाभार्थी वर्ग से न पड़े इसके लिए राज्य सरकार को सचेत रहकर कार्य करने की जरूरत है | क्योंकि एक ही मुद्दा सरकार बना सकती और गिरा भी सकती है और वैसे भी उत्तर प्रदेश केंद्र की सत्ता की मास्टर चाभी है इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है | राज्य सरकार द्वारा उठाया गया कदम सराहनीय है, पर इसके मायने तभी है जब पंक्ति के अंतिम क्रम पर खड़े व्यक्ति तक स्पष्ट जानकारी पहुँच पाए और वह स्वेच्छा से अपने कार्ड का त्याग कर सकें | 

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डॉ. अजय कुमार मिश्रा 

drajaykrmishra@gmail.com