मेरा प्रिय एक गाँव है
शांति जहाँ आम है l
जगह जगह पेड़ लगे हैँ
ऊँचे- ऊँचे पेड़ खड़े हैँ l
पत्तियाँ आवाज करती हैँ
पत्तियाँ शुद्ध हवाएं देती हैँl
यहाँ आपसी प्रेम जिन्दा है
बूढ़ी स्त्री सबकी अम्मा है l
सर्दियों की ठिठुरती रात
आग जला करते हैँ बात l
किससे कितने छिड़ते हैँ
राजनीति भी सब कहते हैँl
स्त्रियां घर का काज करें
कुछ खेतोँ में भी काम करें l
धार्मिक आयोजन मिल करें
सभी आपस में सहयोग करें l
उपलों.की लगी ऊँची बटेर
उस पर फैली लौकी की बेल l
अहा हा मनोरम है सारा दृश्य
प्रफुल्लित होता है मेरा ह्रदय l
खेतोँ में चलता हीरे सा पानी
बहे जैसे कोई नदिया रानी l
मिट्टी की सोंधी खुश्बू भी
बड़ी ही मनभावन सी होती l
गाँव संस्कृति को बचा रहे
संस्कार नहीं गाँव भूल रहेl
गाँव कैसे व्यक्त मैं कर सकूँ
शब्द -शब्द मैं कैसे लिख सकूँ l
सादा जीवन गाँव का रहा
भोजन गाँव का शुद्ध रहा l
जो गाँव मैंने है व्यक्त किया
वह मेरे है ह्रदय का गाँव रहा l
पूनम पाठक बदायूँ
बदायूँ इस्लामनगर