न कह देना अच्छा है

न कह देना अच्छा है जिस फैसले से लगे घुटन,

पर न कहना न आया मुझे,लाख किया मैंने जतन।


सोचती हूँ क्यों मैं घुटती रहती हूँ?

मतलबी लोगों से दूर क्यों न रहती हूँ?

जानती हूँ उनके नापाक इरादों को,

फिर भी क्यों मैं इतना कुछ करती हूँ?


ज़माने के साथ ग़र चलना है, 

तो न कहना सीखना ही होगा।

विराम लगाना होगा उन रिश्तों पर,

दूर उनसे रहना ही होगा।


विचारों के भवसागर से निकल नहीं पा रही,

भोली हूँ या बेवकूफ समझ नहीं पा रही।

ये दुनियां जैसी दिखती है काश वैसी ही होती,

झूठ छलावा नकाबपोशों से काश दूर ही होती।


                रीमा सिन्हा

           लखनऊ-उत्तर प्रदेश