तेरा दरबार हम सजायेंगे,
तेरी भक्ति का सुर लेकर,
जय जयकार लगायेंगे।
लाल चुनर तुझे ओढ़ाकर,
तेरा आशीष पायेंगे,
ध्वजा पताखे को लेकर,
तेरा सिंहासन सजायेंगे।
धूप दीप तुझे दिखाकर,
मन पावन कर जायेंगे,
पुष्प कनक की माला लेकर,
कंठन हार सजायेंगे।
हर तरफ माँ तू ही तू,
तेरे भक्ति में जीवन बितायेंगे,
चँदोवा और चाँदनी को लेकर,
मंदिर तेरी सजायेंगे।
तू जो रूठ गयी मैया,
नीरव हम भी हो जायेंगे,
काव्यप्रिया माँ तेरी चरणों में,
अपनी कविता हम चढ़ायेंगे।
रीमा सिन्हा (लखनऊ)