पिला दे भक्ति का प्याला मुझको अभी।
कंठ सूखा का है मां होंठ पपड़ी जमी।
तेरी भक्ति में मुझको आनंद बड़ा
झूमे मने मतवाला यह तो बड़ा।
कंठ सूखा है मांँ होंठ पपड़ी जमी।
तेरी मोहनी मूरत हृदय में बसी।
नजरों में भर लूं तुझको हर घड़ी।
कंठ सूखा है मां होंठ पपड़ी जमी
नाम तेरे का प्याला पिया है मैंने
नशा उसका तो मुझको चढ़ा हर घड़ी।
कंठ सूखा हे मां होंठ पपड़ी जमी।
नाम से तेरे देखो सारी दुनिया तरी,
द्वारे पे भक्तों की देखो कतार लगी।
कंठ सूखा है मां होंठ पपड़ी जमी
मांगू मैं तो तुझसे यह मैया अभी
नाम अपने का जाम पिला दे मुझे।।
कंठ सूखा है मां होंठ पपड़ी जमी।।
भक्ति का प्याला मुझको पिला दे अभी।।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा