मैं थका हुआ पथ
तुम चलते पग पग
चलतेऔर दौड़ते
घूमते और भागते
पर मैंने आह न की
जाने वाले की राह न की
फिर भी वो
आता तो सिर्फ
मुझ पथ पर केवल
नहीं चाहे सहारा बनना
मुझ पथ पर आना व जाना
पर मैं स्थिर
मैं अडिग
होता उबड़ खावड़
न चिंता फिकर
मेरे लिए न लड़ना
अपने लिए लड़ना
जीत के लिए
मानवता के लिए
मानव तू समझ
मानव फिकर कर
तू चला जायेगा
मैं रहूँगा स्थिर
मैं थका हुआ पथ
तुम चलते पग पग
पूनम पाठक बदायूँ