माँ, तुम्हारे जाने के बाद

माँ,तुम्हारे चले जाने के बाद,

न टेढ़े मेढ़े शब्दों से उलझने का मन करता,

ना हीं किसी विषय पर कुछ रचने का मन करता,

बस एक ही शब्द पर अटक गई है मेरी रचना,

वो है माँ ,माँ और माँ...


माँ,अब न कुछ समझने का दिल करता,

न किसी को कुछ समझाने का दिल करता,

अंतहीन पथ पर चल रही हूँ मैं,नहीं सूझता,

आसमां, आसमां और आसमां...


मालूम न था तेरे जाने से मन इतना नीरव हो जायेगा,

शब्दों के आँसू बहेंगे भावों का दरिया बन जायेगा।

सब कुछ अब पराया लगता है,नहीं अपना लगता,

ये जहां,जहां और जहां...


                  रीमा सिन्हा

             लखनऊ-उत्तर प्रदेश