प्रेम में कृष्ण..कभी मीरा सी पीर हो जाना !!
माना, हरी रहें शाखाएँ , स्वीकारें पतझड़ भी
हर "सूखे मौसम" में, जड़ों का नीर हो जाना!!
खत जो पडे रहे अब तक , वक्त की दराज़ में
पतों पर प्रेषित कर उनको, नई रीत हो जाना!!
किसी की तकती आंखों में, या दर्दीले रागों में
प्रत्येक प्रेम-कविता की,सुर्ख तकदीर हो जाना !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ , उत्तर प्रदेश