॥ गाँव की मिट्टी ॥

गाँव की मिट्टी बुला रही है

याद तुम्हें भी दिला रही है

हरी भरी खेतों की क्यारी

कितनी सुन्दर कितनी प्यारी


पीपल बरगद की वो छाया

गाँव जवार की बड़ी है माया

हर कोई यहाँ अपना होता

होली दीवाली का मेला लगता


नदी तालाब खेत खलिहान

चिंड़ियाँ जगाती जब होत विहान

खाट छोड़ किसान चला आता

हल बैल संग साथ ले जाता


सुन्दर है पहाड़ी का किनारा

हवा छु जाती है तन सारा

पुआल की छावनी पुआल गलीचा

हरा भरा मन भावन बाग बगीचा


रामू काका श्यामू काका

हर नारी कहलाती माता

नानी दादी सुनाती है कहानी

एक था राजा एक थी  रानी


उदय किशोर साह

मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार

9546115088