किस्मत के डोरे बंधे आसमां में..!

समुंदर हुई जा रही है,

बवंडर हुई जा रही है,

दिलों में उभरती हसरतें

उछलती ही जा रही हैं !


कहीं ये भी कर लुं, कहीं

वो भी कर लुं, किसी को

प्यार से बस में मेरे कर लुं !


किस्मत के डोरे बंधे आसमां में,

ना लिखना कहानी तुम अपनी

जबानी, कहानी पढ़ें हम आसमां में

फरिश्ते यहां के  रह रहे जिस जहां में !


कभी साथ छोड़ों ना कहीं हाथ छोड़ों ना,

किस्से वफा के फिर सुनाते रहेंगे, फिर

इस जमीं पर अपना आसमां भी यहीं पर

यहीं पर अपना घरोंदा भी हम बसाते रहेंगे !


- मदन वर्मा " माणिक "

   इंदौर, मध्यप्रदेश