॥ नकाब उतार दो ॥

मत लो मेरी अग्नि परीक्षा

तन मन मेरा घायल   है

जल रही मन में राष्ट्रवाद की

ज्वाला से भारतीय पागल है


हो रहे हैं बेनकाब चेहरे

कल तक जो गद्दार था

परदे के पीछे खड़ा रहकर

देश के दुश्मन का यार था


जयचन्द के वशंज है जिन्दा

जो गौरी खाँ का परिजन बना

पर हम चुप अब ना रहेगें

जो गद्दार देश का है जना


नहीं चलेगी गद्दारों की कोई

देश के अन्दर क्रिया कलाप

बंद करेगें कारावास में अब

परिजन करेगें घर पे विलाप


हर घर से निकलेगा भगत सिंह

हर घर से रानी झाँसी की

सुभाष चन्द्र हुँकार भरेगें

नहीं भूले हैं वीरों की कुर्बानी


लाल बहादूर की अमर वो वाणी

घर घर में  अब    दुहरायेगा

जय जवान जय किशान का नारा

कण कण में तिरंगा लहरायेगा


आओ भारत के वीर सपूतों

नया हिन्दूस्तान बनायेगें

हिमालय से कन्याकुमारी तक

अखंड हिन्दूस्तान जगायेगें


उदय किशोर साह

मो ० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार