कान्हा खोल दरवाजा अपने दिल का
ललित छवि तेरी देखने आई।
माखन मिश्री साथ में लाई।
छुप छुप कर तू मुझे देखता
मैं तो आज मनाने आई।
कान्हा खोल दरवाजा अपने दिल का
तू तो सदा से साथ है मेरे
फिर क्यों रूठा आज है मुझसे
भावों के पुष्प साथ हूंँ लाई।
मैं तो तुझे मनाने आई।
कान्हा खोल दरवाजा अपने दिल का
रूठेगा तू ऐसे कैसे
रंग गुलाल लगाने आई।
प्रीत से तुझे मनाने आई
कान्हाखोल दरवाजा अपने दिल का।
माना राधा सा प्यार नहीं
गोपियों सी मुझे चाह नहीं।
पर मधु तो मधु ही है
भावों के पुष्प चढ़ाने आई ।
कान्हा खोल दरवाजा अपने दिल का
ना ले अब तू इम्तहान मेरा
बैठी हूं दर पर आज तेरे
भक्ति का वरदान में पाने आई।
आज तुझे मनाने आई हूं।
कान्हा खोल दरवाजा अपने दिल का।
ललित छवि तेरी निरखू,
सांवली सूरत मन को मोहे।।
नजर ना हटे मेरी तुझसे
आज मनाने आई हूं
आज मनाने आई हूं।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा