जल-यज्ञ २०२२


स्वच्छ जल से स्वच्छ मन,

दे, अनुकूल स्वच्छ विहान।

धरा-जीवन जल का पर्याय,

कबीर-साखी में जल-प्राण।

मान दे जिसे काव्य,विज्ञान,

झुक,चंद्र दे जलद-सम्मान ।


जल-प्रक्षालन है, शुद्धि - मंत्र,

अवनि पर आनंद शांति -तंत्र।


न केवल मनु,हर जीव मन,

हर तन की संतान का त्राण।

प्यास मिटे,हो आत्म-शोधन।

जग-परिवार की व्यथा करुण,

करे वागीश में भाव-संचारण।

भूजल,अदृश्य होगा गतिमान।


संयुक्त राष्ट्र-विषय,जल-पालन,

जल-चक्र से ही प्रकृति-संतुलन।

शुद्ध जल-संचय तकनीक-ज्ञान,

से,सीमांत-समूह की ध्वनि-श्रवण।


@ मीरा भारती,

 पुणे,महाराष्ट्र।