लेकिन वहां बात नही बनी तो मैंने बडा जुगाड़ लगाकर खादी गेस्ट हाउस में रहने का अरेंजमेंट किया। शुरूआती दिनों में तीन-चार दिन के लिए जगह मिली थी लेकिन फिर मैं वहां करीब 6 महीने रहा और हर दिन किराए के 50 रुपये दिया करता था। उन दिनों मुझ पर अपना एलबम निकालने की धुन सवार थी लेकिन बात नही बनी'।
कैलाश खेर बातचीत को आगे बढ़ाते हुए कहते है, 'लेकिन इस दौरान मुझे जिंगल्स में खूब काम मिलने लगा और लोग मेरी आवाज की तारीफ करते थे और जैसे ही कोई मेरी तारीफ करता तो मैं उस जिंगल में अपनी फीस और थोड़ी बढ़ा लिया करता था। ऐसे ही मेरी फीस बढ़ती चली गयी और फिर ऐसा भी हुआ कि जिस कंपनी ने मेरा एल्रिबम रिजेक्ट कर दिया था, उस कंपनी से कॉल आया कि हम आपके साथ काम करना चाहते हैं तो फिर इस तरह एल्बम भी रिलीज हुआ और फिर फिल्मों में गाने मिलने लगे तो करियर की पटरी ट्रैक पर आ गयी।
पहली सैलरी के सवाल पर कैलाश खेर कहते है कि एक पांच हजार का चेक मेरा पहला मेहनताना था। लेकिन बाद में मुझे एहसास हुआ कि मुझे बेवकूफ बनाया था क्योंकि मेरा वो चेक क्लियर नही हुआ था। लेकिन मेरी हिम्मत कभी टूटी नहीं क्योकि यहां लोग मेरी आवाज की तारीफ करने लगे थे।
बॉलीवुड से जुड़े सवाल पर कैलाश खेर बातचीत करते हुए कहते है कि, 'इंडस्ट्री तो पूरी ही फेक है यहां जो दिखाई देता है वैसा होता नही और यही शायद इस इंडस्ट्री की मजबूरी भी है। यहां लोग अंग्रेजी में मीठी-मीठी बात करते है । शुरुआत में ऐसे ही मीठी-मीठी अंग्रेजी बोलकर लोग मेरा रिजेक्शन कर दिया करते थे तो मैं खुश होता था कि चलो कम से कम मेरा रिजेक्शन अंग्रेजी में हुआ है। लेकिन अब हम भी इंडस्ट्री का हिस्सा है और इस कल्चर में फिट हो ही गए है।