भगत सिंह राजगुरु सुखदेव यह 23 मार्च 1931
आजादी आजादी नारों से गूंज रहा था सारा देश
वीर शहीदों की कुर्बानी देख रो रहा था सारा देश
याद रखेगा तुम्हारी कुर्बानियों को सारा देश
वह जीवन क्या पैदा होना और मर जाना
मरना हो तो दुश्मनों से जंग कर देश की खातिर
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु जैसे शहीद होना
मैं जिंदा हूं और जन्मभूमि बंदी है धिक्कार मुझे
भोजन जल्ती अंगार पानी है विष धार मुझे
आओ यौवन की जंग में कुछ पुण्य कमाएं
मिल जाए सौभाग्य तो शहीदों में हम नाम लिखाएं
लेखक संकलनकर्ता- कर विशेषज्ञ साहित्यकार स्तंभकार कानून लेखक चिंतक कवि एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र