के मेरे सिवा कोई पढ़ ना पाए तुझे।
बस चले मेरा तो अपने शब्दों में,
मेरी हसीन जन्नत बनाऊँ तुझे।
तेरे ही ख़यालो में सुबह शाम होती
है मेरी ये बात कैसे बताऊँ मैं तुझे।
डरता हूँ मैं मेरे पहले और कोई
दुआओं में खुदा से मांग न ले तुझे।
दिल से तो अपना लिया,इजाज़त
दे तो रूह के बंधन में बांध लूं तुझे।
नीक राजपूत
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