इकतरफ़ा इश्क़ तो यारों धमाल होता है।
छुप छुप के बस उनको ही हम देखा करते हैं,
नज़र पड़ जाये जो उनकी रूख़ जमाल होता है।
चश्म-ए-तर में बस तस्वीर है उनकी,
छुपके अश्क़ बहाते हैं न बवाल होता है।
हमको याद हैं ऐसे इक आयात के जैसे वो,
इश्क़ रूहानी होता है न बद आ'माल होता है।
इश्क़ मेरा कभी उनको भी तड़पायेगा रीमा,
ये सोचकर खुश हैं न कोई सवाल होता है।
रीमा सिन्हा
लखनऊ-उत्तर प्रदेश