उल्फत इंतजार में,
अनुराग प्रणय की,
एक अहसास हो।
पुष्प मंजरी हार में
मेघपुष्प बहार में,
शीतल सौम्य वात की,
सुंगध सुवास हो।
कृतार्थ फरियाद में,
मुग्ध मोहक याद में,
उपकार सौगात की,
शुभ सिद्धि आस हो।
पीत सिंदूरी शाम में,
श्रद्धा निष्ठा निष्काम में,
चित्त अंतःकरण की,
सुलोचन प्यास हो।
ज्योति नव्या श्री
रामगढ़ , झारखंड