जाने कितने लोग संग में है।
मुख से मीठे बोल बोलते,
और भीतर से अपने ढंग में हैं।।
जीवन में कुछ ऐसे भी रंग है।
सेवा करते हैं तब तक कि,
जब तक तुझमें धन का ढंग है।
मतलब पूरा हो जाने पर,
सुख चैन सारा कर देते भंग है।।
जीवन में कुछ ऐसे भी रंग हैं।
ऐसे करते पीछे से वार है,
कि लोग रह जाते दंग हैं।
गर्दन पर छुरी चलाते हैं ,
जैसे कटी हुई पतंग है ।।
जीवन में कुछ ऐसे भी रंग हैं।
गीता देवी
औरैया उत्तर प्रदेश