महिला दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं

ऐसा नही है अपनी पहचान बनाने के लिए पुरुषों को संघर्ष नही करना पड़ता,लेकिन स्त्रियों के लिए स्थितियां अक्सर इतनी चुनौतीपूर्ण और दुष्कर होती आई है कि अपनी रूचि के क्षेत्र में पर्दापर्ण करने के पहले उन्हें अनंत बाधाओं का सामना करना पड़ता है।अगर जरा भी मनोबल कम हो जाए या साहस साथ छोड़ दे तो इसे नियति समझकर परंपरागत सामाजिक ढांचे में ढलकर अपनी महत्वाकांक्षाओं की बलि देने के अलावा कोई चारा नही होता।

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादियपि गर्यसी।

यह सत्य है जननी,जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है। मातृशक्ति संपूर्ण विश्व में वंदनीय है महिलाओं के सम्मान हेतु किसी एक दिन विशेष की आवश्यकता नही है। यह बहुत बड़े दुख का कारण है इतनी जागरुकता के वावजूद महिलाओं पर अत्याचार क्यूं नही रुक रहे है?

घृणित मानसिकता के लोगों की अभद्र टिप्पणीयां औरतों की मानसिकता को झकझोर कर रख देती है।वह घूंट कर या फिर अपनी पैमाने में ही कैद कमज़ोर होकर रह जाती है।क्युकीं गलतियां और लांछना उसके हिस्से में ही पड़ते आए है,जिसे वो किस्मत के लेखक विधाता को कोसते आई है। जबकि सहने और तपने की ताकत जिस स्त्री ने बखूबी निभाई है,उसके थाली में यातनाएँ  का ही जायका परोसा गया है। जिसे वो हँसते रोते खिलखिलाते  बेस्वाद चखती आई है।तब तब किसी महान नायिका के नाम से सम्मानित किया गया है।जैसे उसने अपने ज़िंदगी में अपनी पसंद की जायका थाली में परोसने की कोशिश की,उसके हाथों में मर्यादा और अपने सीमा में ही रहने की कंगन पहना दी गई,जिसे पहन वो पूरी ज़िंदगी बेशकीमती कंगन के नाम कर दी।

अपनी मनोकाक्षांओ को समर्पित करने वाली  महिलाओं को भी महिला दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएँ 

रानी प्रियंका वल्लरी

बहादुरगढ़ हरियाणा