आज और कल

आज कोई और है तुम कल रहे हो,

दूर जो मैंने किया क्यों जल रहे हो?


भूल जाऊँ आपको  कैसे खुदाया,

हम नफ़स थे साथ क्यों छल रहे हो?


साथ तेरा चाहता हूँ मैकदे तक,

जाम देकर साकिया संभल रहे हो।


काश तुम भी जान पाते हाल मेरा,

ख़्वाब के ताबीर तुम हर पल रहे हो।


तुम खुशी की वजह थे मेरी कभी जो,

आज मेरे दर्द भी अव्वल रहे हो।


                   रीमा सिन्हा(लखनऊ)