सरर सरर सरर सर सररा,
जब सृष्टि का निर्माण किया
तब चारो ओर था सन्नाटा,
ब्रह्मा जी ने विष्णु जी की
कर स्तुति उन्हें बुलाया |
विष्णु जी ने कर आह्वान
तब दुर्गे माँ को बुलाया
माँ संकट अब ये दूर करो
छाया जग मे क्यों सन्नाटा,
क्षण मे इसको दूर करो
हे शक्ति स्वरूपा जग माया|
तब शक्ति स्वरूपा रुप निरूपा
श्वेत चतुर्भुजी का लिया,
एक हाथ वर मुद्रा ली
दूजे हाथ मोती माला
फिर एक हाथ ली पुस्तक
एक ली हाथ मे वीणा |
हे आदि भवानी जग कल्याणी
कोलाहल जग मे भर दो,
वीणा की झंकार से सरगम
मधुर-मधुर जग को कर दो
शब्द,रस का संचार करो|
वीणावादिनी अब तुम
छाय जग मे संकट है
फिर वीणा से स्वर दो
फिर वीणा से स्वर दो |
कवि- कुमार प्रिंस रस्तोगी
लखनऊ,उत्तर प्रदेश ...