जज्बात नैनों से बहने लगे है।
भूलकर मीठी सरस जीवन,
दूर यादों तलक खोने लगे है।
राहों में आस लगाए बैठे हम,
न जाने कब आओगे तुम।
मेरी मीठी सरस जीवन की बगिया में,
न जाने कब खुशबू बन महकोगे तुम।
इंतजार की घड़ी बीत न जाये,
दिल की समां बुझ न जाये ।
मीठी सरस जीवन की ख्वाहिशें
कहीं अधूरी , मेरी रह न जाये।
ज्योति नव्या श्री
रामगढ़ ,झारखंड