मानव जब भी मुंह खोलो।
पहले शब्दों को तोलो,
फिर शब्दों को तुम बोलो।।
पता नहीं किन शब्दों से,
रूठे अपने हो जाएंगे ।
बोला कटु शब्द कहीं तो,
अपने भी शत्रु बन जाएंगे।।
कर्म करो हजार किसी के,
एहसान हृदय सदा बसाएँगे।
यदि बोला अपशब्द एक दो,
हजार कर्म व्यर्थ हो जाएंगे।।
शब्द बड़े घातक होते हैं,
शब्द घड़ी मादक होते हैं ।
अपनाते हैं शब्द उचित जो,
वही शब्दों के साधक होते हैं।।
रोगी को खुशियाँ जो देते,
रोते हुए को भी हँसा देते।
दुख सारे ही हर लेते है,
मीठे शब्दों को जो है बोते।।
गीता देवी
औरैया उत्तर प्रदेश