मुझें कोरा पन्ना चाहिए चलने के लिऐ।
मेरा कोई रंग नहीं,
मैं हर रंग को लिखता हूँ।
मैं ख्याल नहीं,
सबके ख्याल लिखता हूँ।
मैं ख़्वाब नहीं
सबके ख़्वाब रचता हूं।
मैं उदास नहीं,
सबको उदासी में हसा देता हूँ।
मैं जो भी हूं,
बस पन्नों पर चलता हूँ।
प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्यप्रदेश