खाने में जहर?

अपने आहार में सब्जियों की एक खास जगह हैं जो स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक भी हैं।आमतौर पे सब्जियां हम पकाकर या कच्ची यानी कि सलाद आदि खाते हैं।उसमे से ज्यादातर विटामिन और मिनरल्स उपलब्ध होते हैं जो शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक हैं।किंतु उनकी उपज ज्यादा करने या लंबे समय के लिए ताजा रखने के लिए जो रासायनिक पदार्थों का उपयोग होता हैं वह फलों से होते फायदों से ज्यादा हानिकारक होते हैं।ये पदार्थ हैं ऑक्सीटोसिन,जिसे इन सब्जियों को आकर्षक और लंबे समय के लिए ताजा रखने के लिए उपयोग में लिया जाता हैं जबकि आहार और पोषण के न निष्णांत की सलाह हैं कि कच्ची सब्जियां सेहत के लिए अच्छी होती हैं क्योंकि पकने से उसमें से जल द्रव्य विटामिंस का क्षय हो जाता हैं।लेकिन ये रासायनिक तत्वों से भरपूर सब्जियां हमारी रोगपरिराक्षक ताकत कम कर देती हैं।नपुसंक भी बनाती हैं और रोड की हड्डियों को भी हानि पहुंचती हैं।ये ग्राहकों से पैसे ले कर बीमारी देने जैसी परिस्थिति बन जाती हैं।

वैसे देखें तो हम आंखे बंद करके ऐसे विनाशक रसायनिक द्रव्यों का उपयोग मजबूरी में ही सही किंतु कर तो रहें हैं।इन द्रव्यों से कभी भी ठीक नहीं होने वाली बीमारियां भी हो सकती हैं।ज्यादातर इन रसायनों का उपयोग तरबूज,कान्शीफल,,बैंगन, लौकी,ककड़ी जैसे सब्जियों में होता हैं।वैसे मिलावट तो हमारे देश की पहचान बन गई हैं।अप्राकृतिक दूध,तेल में अखाद्य पदार्थों के तेल की मिलावट,जीरे को सीमेंट के कनों से बनाने का कारखाना कुछ महीनों पहले दिल्ली में पकड़ा गया था।पनीर तो पूरा ही रसायनिक सफेद पदार्थ से बनता पकड़ा गया था।

ऐसे ही और कई चीजें हैं जो हानिकारक पदार्थों से बनाई जाती हैं जैसे रसोई में उपयोग लिए जाने वाले मसालें, हल्दी,मिर्च पाउडर,धनिया पाउडर  आदि।

इन सब को संज्ञान में ले प्रशासन को सख्त नियम बना कर उनका सख्ती से पालन करवाना आवश्यक बनता हैं।ऐसी चीजे हमारे बच्चे जो देश का भविष्य हैं, वे भी खाते हैं,तो उनके भविष्य को संवारना हमारी नैतिक जिम्मेवारी हैं, ये भूलना नहीं चाहिए।

जयश्री बिरमी

अहमदाबाद