हुड़चुम्मा

क्रिकेट के मैदान पर सचिन,धोनी,सहवाग,विराट या अन्य खिलाड़ियों के बारे में तो लोगों को आवाज लगाते अक्सर आपने देखा और सुना होगा। जब काबिल और मनपसंद खिलाड़ी मैदान में उतरता है। तब चारों तरफ से उसके नाम की आवाजें लोग लगाना शुरू कर देते हैं। यह तो हुई खिलाड़ियों की बात। लेकिन खिलाड़ियों के खेल और उस खेल से जुड़े कौशल के बारे में तकनीकी जानकारी की हर तरह से मालूमात रखते हुए कमेंट्री करते हुए उस पायदान पर जा खड़े होना जहां दर्शक खिलाड़ी को कम आवाज लगाते हैं और कमेंटेटर को ज्यादा आवाज लगाते हैं। 

जब हुड़चुम्मा कमेंट्री करने आते हैं उस समय हुड़चुम्मा- हुड़चुम्मा की आवाज क्रिकेट स्टेडियम में चारों और से सुनाई देने लगती है। यह एक कमेंटेटर की सफलता और उसकी लोकप्रियता के साथ स्टेडियम में मौजूद दर्शकों के प्यार का प्रमाण है। हुड़चुम्मा कौन है,और वह इतने लोकप्रिय कैसे हुए,आज हम अपनी बात के माध्यम से ऐसी लोकप्रिय सख्शियत के विषय में जानेंगे। तो फिर देर किस बात की है चलते हैं, दिलों पर राज करने वाले हुड़चुम्मा के पास। अरुण वर्मा उन्हें लोग प्यार से हुड़चुम्मा बुलाते हैं और अब तो अधिकांश लोगों को सिर्फ हुड़चुम्मा ही याद है। 

स्कूली शिक्षा के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अरुण वर्मा की लगातार उपस्थिति रहती थी। इस दौरान अरुण नें अपने आप को एक कुशाल वक्ता के रूप में भी स्थापित कर लिया था। 1990 में जन्में अरुण वर्मा उर्फ हुड़चुम्मा के जीवन में एक नया मोड़ तब आया जब उन्हें किसी क्रिकेट प्रतियोगिता में मुख्य कमेंटेटर की अनुपस्थिति के कारण कमेंट्री करने का मौका मिला। बस यहीं से इनके संघर्ष के साथ सफलता की शुरुआत हुई। 

सन् 2015 में ऑल इंडिया क्रिकेट प्रतियोगिता में कमेंट्री करी। सन् 2017 में महापौर ट्रॉफी इसके बाद 2019 में ऑल इंडिया महापौर ट्रॉफी इसके बाद भारत की सबसे बड़ी टेनिस बॉल क्रिकेट प्रतियोगिता के साथ ही इस वर्ष 2021 में भी भारत की सबसे बड़ी प्रतियोगिता आलोक माहेश्वरी क्रिकेट प्रतियोगिता में कमेंट्री करी। और अपनी आवाज का जादू भारत ही नहीं बल्की बाहर के बहुत सारे देशों में बिखेरा। जिनमें मुख्य रूप से कतर,ओमान,दुबई आदि जगहों में लाइव प्रसारण के माध्यम से जनता को जोड़े रखा।

 कमेंट्री करने के अपने एक निराले तथा विशिष्ट अंदाज के कारण ही लोग हुड़चुम्मा को पसंद करते हैं। और स्टेडियम में प्यार से हुड़चुम्मा के नारे लगाते हैं।अपनी जादुई आवाज और विशिष्ट शैली के दम पर हुड़चुम्मा आज क्रिकेट कमेंटेटर की दुनिया में एक स्थापित नाम है। आज देश का ऐसा कोई भाग नहीं बचा है। जहां हुड़चुम्मा नें अपनी आवाज का आगाज ना करा हो। हुड़चुम्मा के अन्दर एक और कलाकार छुपा हुआ है। जब इतनी बात हुई ही है तो इस कलाकार की अन्य कलाकारी के बारे में भी जान लेते हैं। 

थियेटर एक्टिंग की शुरुआत सन् 2009 में नाटक ओढ़ना से हुई जिसका मंचन राजस्थान के उदयपुर में हुआ। इसके पश्चात् 2010 में सुप्रसिद्ध नाटक झलकारी बाई में अभिनय करा। झलकारी बाई का मंचन इंदौर,सागर,ग्वालियर,उज्जैन,धार एवं महू में सफलतापूर्वक किया गया। हुड़चुम्मा के अभिनय का यह सफर लगातार अभी भी जारी है और इन्होनें 2013 इंटरनेशनल थिएटर डॉयरेक्टर पद्म श्री बंसी कौल द्वारा निर्देशित नाटक जिंदगी और जोक में अभिनय के साथ ही वर्ष 2013 में ही गोवा फेस्टिवल एवं 2014 में दिल्ली में आयोजित भारत रंग महोत्सव इंटरनेशनल नाटक फेस्टिवल में आयोजित नाटक सौदागर में भी अभिनय करा। 2014 में नाटक जिंदगी जो जो कि कोलकाता फेस्टिवल और 2015 में भारत रंग महोत्सव में अभिनय करा। इसके अतिरिक्त 2015 में महाराष्ट्र औरंगाबाद में नाटक को एवं टी वी न्यूज चैनल ईटीवी में प्रसारित होने वाले क्राइम शो दास्तान ए जुर्म में अभिनय करा। 

 कोरोना जैसी महामारी से समाज को जागरूक करने के लिये पंडित गौरव गौतम के निर्देशन में अभिनय करा। क्राइम शो जुर्म में अपने अभिनय की छाप छोड़ते हुए  हुड़चुम्मा लगातार दर्शकों के दिलों पर राज कर रहे हैं। और क्रिकेट कमेंट्री हो या हो अभिनय, सीढ़ी दर सीढ़ी सफलता के उच्च मुकाम पर पहुंचने के क्रम को बदस्तूर जारी रखे हुए हैं। हुड़चुम्मा की सफलता के पीछे उनकी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के साथ ही निश्चित तौर पर इस संघर्षमयी सफल यात्रा में कुछ लोगों नें उनका साथ भी दिया होगा। 

जैसे हुड़चम्मा नें अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है वैसे ही हुड़चम्मा से प्रेरणा लेकर हमारी युवा पीढ़ी भी अपने क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने का प्रयास करें। और जो प्रयास करता है निश्चित रूप से सफलता भी उसे ही हासिल होती है। चलते-चलते एक बात और जो सफलता के लिये संघर्षरत है उसके धर्म और जाति को नजरअंदाज करते हुए हो सके तो उसे सहयोग और साथ दें। आपका छोटा सा सहयोग या प्रोत्साहन संघर्षरत युवा की राह को आसान कर उसका मार्ग प्रशस्त कर सकता है। 


रमा निगम वरिष्ठ साहित्यकार 

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