गुलाबी ठंड


अलविदा हुई

तपतपाती गर्मी

ले घुटन , बेचैनी 

और पसीना

न भाता था खाना

न ही कोई व्यंजन

बस पानी पी पीकर

हो जाता था तन मन

बुझा बुझा सा बेहाल।।

आई है गुलाबी ठंड

लेकर गुनगुनी धूप सुकून की

खिले दिन रैन

आयी रौनक न सिर्फ ज़िन्दगी में

खिल उठी बगिया भी मन मोहक गुलाब, 

गेंदा, गुलदावरी से

और व्यंजनों की तो पूछो ही मत 

सरसों का साग , मक्की की रोटी, 

गाजर का हलवा,

मूंगफली, रेवड़ी , गजक

कितना मज़ा है गुलाबी ठंड

का सब कुछ खिला खिला महका महका

रजाई की गर्माहट चाय की चुस्की के साथ

स्वेटर , मौजे , टोपी भी लगती भली 

देखा कैसा है जादू गुलाबी ठंड 

का हर मौसम से जुदा

बस देता खुशी तन और मन दोनों का

क्योंकि न बहे पसीना, न चिपचिपाहट गर्मी की

न कीचड़ , जल भराव बारिश का

बस प्यारी सी मंद मंद बहती ब्यार सी सर्द हवा गुलाबी ठंड की।।

.....मीनाक्षी सुकुमारन

        नोएडा