कान्हा श्री राधे

कान्हा गोपिन के

घरों में घुस जावे

मटकियों को निहारें 

कौन सी मटकी फोरें

चंचल नैन चलावें

और इत उत देखें 

गोपी कोई देखे

तो खूब इठलावें

 इधर-उधर छिप जावें

गोपिन खेल-खिलावें

माखन को खावें 

और मटकी पटकें 

गोपिन को हरा देवें 

कितने बहाने लगावें 

बंसी कान्हा बजावें

गोपियां ललचावें 

यशोदा से बतियावें 

गोपी शिकायत लगावें

ऐसे नटखट हैं 

कान्हा श्री राधे 

मां नजर उतारें

चंचल श्याम हैं 

राधे तेरे चरणों में हूं

मांगती कृपा हूं

पूनम पाठक पाठक