अफवाहों का बाज़ार गर्म है

 आज हर चैनल दिखा रहा, कोरोना से मचा जो हाहाकार,

सनसनी बना कर दिखा रहे हैं, अस्पतालों के हाल-चाल,

 अफवाहों का भी बाज़ार गर्म है, पत्रकारों में कोलाहल है,

दौलत शोहरत दोनों कमा लें, चैनलों बीच मची हलचल है,

 आज अनेक पत्रकार, जोखिम में जान अपनी डाल रहे हैं,

अपनी-अपनी चैनलों के लिए, खबरें जुटा कर वे ला रहे हैं,

 कोरोना के मरीजों के बीच घूमना, आसान काम नहीं है,

ऐसे वक़्त में पत्रकारिता करना, चुनौतियों से कम नहीं है,

 लाख जतन कर जनता को, जागरूक करना चाह रहे हैं,

पैसा बेशक कमा रहे हैं पर कर्त्तव्य भी अपना निभा रहे हैं,

 चाह केवल इतनी ही हमारी, सच्ची खबरें ही दिखाई जाएँ,

नेताओं की तरह अपने स्वार्थ में, अफवाहें ना फैलाई जाएँ,

यह समय नहीं है, लाभ-हानि के चक्रव्यूह में यूँ फंसने का,

यह समय है अदृश्य शत्रु के समक्ष, साथ मिलकर लड़ने का,

 यदि मिल कर लड़ेंगे तो यह जंग अवश्य हम जीत जाएँगे,

वरना खो चुके कितने अपनों को, कितनों को और गवाएँगे।

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)