तुलना

छोटी बहू के कमरे से उसकी बहुत ज़ोर से बोलने की आवाज सुनकर सासु माँ उसके कमरे की तरफ भागी। साथ ही बड़ा बेटा ओर बहु भी अपने कमरे से निकल कर आ गए कि ऐसा क्या हो गया कि नई बहू इतनी ज़ोर ज़ोर से बोल रही है। अभी दो महीने ही तो हुए थे छोटी बहू अंजली को इस घर में आये हुए। 

अंजली एक पढ़ी लिखी,स्मार्ट और आज के जमाने की सर्व गुण सम्पन्न लड़की थी। सबसे बहुत प्यार और इज्ज़त से पेश आती थी। 

 उसकी जेठानी सुनीता भी उसी के जैसी ही पढ़ी लिखी और समझदार बहु थी उसकी शादी को पांच साल हो चुके थे। जब सब लोग उनके कमरे में पहुंचे तो अंजली अपने पति से कह रही थी," क्यों बनूं मैं भाभी जैसी..मैं अंजली हूं तो अंजली ही रहूंगी।"

सासू माँ ने पूछा," क्या हुआ बेटे , क्यों परेशान हो?"

तब अंजली ने बताया कि उसका पति हर बात में उसकी तुलना भाभी से करता है और कहता है कि भाभी ऐसे करती है ,भाभी वैसे करती है।अब आप ही बताओ मैं अंजली हूँ तो मैं सुनीता कैसे बनूंगी और भाभी आप बताओ क्या आप अंजली बन सकते हो। जो मुझ में गुण हैं जरूरी नही कि वो भाभी में हों और जो भाभी के गुण हैं ये जरूरी नही कि वो मुझ में हों। हर बन्दे की आदतें ,स्वभाव अलग अलग होते हैं। 

 इस बात के लिए सासु माँ, जेठानी ओर जेठ जी सब ने छोटी बहू का साथ दिया कि वो बिल्कुल ठीक कह रही है और बेटे को बोला कि तुम्हारा बात बात में अंजली की तुलना भाभी से करना गलत है। उन्होंने इस बात के लिए अपने बेटे को ही गलत ठहराया। उसके बाद फिर अंजली के पति ने उसकी तुलना भाभी से नही की।

अब अंजली का मन शांत हो गया था और वो सोच रही थी कि अगर वो आज ये बात ना उठाती तो ये उसकी तुलना भाभी से करने का पति का रवैय्या उसे जाने कब तक झेलना पड़ता ।


मौलिक रचना

रीटा मक्कड़

लुधियाना