वैशाखी है पर्व खुशी का, मधुरिम खुशियां बांटे।
मलय पवन सुख समृद्धि की पाती जग सम्मुख बांचे।
हर्षित जीवन, अम्बर, उपवन, भू, कानन, गिरि, घाटी,
भ्रमर-तितलियां नाच रहे, उत्साह उदधि धर माथे।।
धन-धान्य से परिपूर्ण सदन, घर-घर खुशियां छाईं।
चौपालें अब लगीं बोलने मंगल गीत बधाई।
मधुर नेह की सरिता भारत-उर बहती रहे सदा,
भाग जगे धरती-किसान के, शुभ वैशाखी आई।।
जलियां के क्रूर कृत्य की वैशाखी याद दिलाता।
मानवता पर दानवता के कलुषित दृश्य दिखाता।
हृदयों में आग धधकती, नयनों से है नीर बहे,
गुरुओं का बलिदान देख शीश सहज झुक जाता।
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प्रमोद दीक्षित मलय
शिक्षक, बांदा (उ.प्र.)
मोबा : 94520-85234