कोरोना हॉटस्पॉट महाराष्ट्र में हर पांच मिनट में एक मौत हो रही है. हर तरफ जीवनरक्षक दवा रेमडेसिविर की मांग है लेकिन राज्य के कई जिलों में दवा का स्टॉक खत्म है. मुंबई के नारायण सोलंकी खुद फार्मासिस्ट हैं लेकिन अपने रिश्तेदार को बचाने के लिए दो दिनों से रेमडेसिविर ढूंढ रहे हैं. उन्होंने कहा, 'मेरे रिश्तेदार 50 साल के हैं. क्रिटिकल हैं. दो दिनों से चक्कर काट रहा हूं. क्या करेंगे दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.' अपनी 55 साल की मां को बचाने के लिए मोईन भी दो दिनों से परेशान हैं. मोईन ने कहा, 'कल भी आया था, एसके डिस्ट्रिब्यूटर के पास. आज भी आया हूं. पूरी मुंबई में ढूंढ चुका हूं लेकिन कहीं नहीं मिल रहा रेमडेसिविर इंजेक्शन. डॉक्टर कहते हैं लाओ, कहां से लाएं.'
प्रमोद माली 200 किलोमीटर दूर गांव से नासिक शहर अपने जीजा और चाचा के लिए रेमडेसिविर लेने पहुंचे. घंटों इंतजार करते रहे. उन्होंने कहा, 'मेरे घर में जीजाजी और चाचा पॉजिटिव हैं. दो लोग कोरोना के चलते गुजर जाएं, उससे पहले ये दवा लेनी जरूरी है. उधर हमें कुछ मिला नहीं, सुबह से बैठे हैं, पता नहीं कब नम्बर लगेगा.' डॉक्टर बताते हैं कि माइल्ड से मॉडरेट मरीज तक को रेमडेसिविर न दें तो मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है.
भाटिया हॉस्पिटल के ICU हेड डॉक्टर परेश सावंत ने कहा, 'अभी जो मामले बढ़ रहे हैं, हमें रेमडेसिविर की कमी हो रही है. अगर हम ये इंजेक्शन माइल्ड टू मॉडरेट मामलों में नहीं देंगे तो मरीज गंभीर हो सकते हैं. उनके लिए ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ सकती है.'
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डॉक्टरों को चेतावनी दी है कि वो सिर्फ बिल बढ़ाने के लिए रेमडेसिविर न लिखें. यही नहीं, दवा की कीमत 1100 से 1400 रुपये तक ही होनी चाहिए. तय हुआ है कि अब ये दवा कोविड अस्पतालों और इनसे जुड़े मेडिकल स्टोर में ही उपलब्ध होगी.