सारे एक हो जाएँगे हम, इतना रंग लगाएँगे हम ।
ऊँच-नीच व जात-पात से,नहीं पहचाने जाएँगे हम।।
क्षमा, दया दान में दे कर,
गलती सारी माफ करेंगे।
मनमुटाव व मैलेपन को,
पिचकारी से साफ करेंगे।
भाईचारा के भाव से ,मन आँगन महकाएँगे हम ।
ऊँच-नीच व जात-पात से,नहीं पहचाने जाएँगे हम।।
सांप्रदायिक भेद-भाव से ,
मिल हम सब ऊपर आएँगे।
बालों ऊपर रंग लगाकर ,
जन गण मन हम सब गाएँगे।
बाहें फैला कदम बढ़ाकर , सबको गले लगाएँगे हम।
ऊँच-नीच व जात-पात से,नहीं पहचाने जाएँगे हम।।
मानवता से भी ऊपर उठ ,
हम प्रकृति से प्यार करेंगे ।
धड़कन सब हिंद-हिंद बोले,
ऐसा हृदय तैयार करेंगे ।
होली के संग सभी बुराई ,अग्नि बीच जलाएँगे हम ।
ऊँच-नीच व जात-पात से,नहीं पहचाने जाएँगे हम।।
नाचें , गाएँ , मौज मनाएँ,
होली का हुड़दंग मचाएँ ।
खुश हो सबको रंग लगाएँ,
ह्रदय से हिंद को हर्षाएँ ।
लाल शहीदों की शहादत का,माथे तिलक लगाएँगे हम ।
ऊँच - नीच व जात-पात से , नहीं पहचाने जाएँगे हम ।।
नफे सिंह योगी मालड़ा ©
स्वरचित रचना
इतना रंग लगाएँगे हम