गर्व करने के साथ ही
जिस दिन
स्वीकार कर पाऊंगा
तुम्हारी कमियों को भी
तुम पर गुस्सा हुए बगैर,
उस दिन
बनूंगा मैं सही अर्थों में
तुम्हारे प्रेम के काबिल।
अपने अरमानों-इच्छाओं
की भांति कर पाऊंगा
जिस दिन
तुम्हारे अरमानों-इच्छाओं
की कद्र और सम्मान,
तुम्हारी कमाई या
उपलब्धियों का मजाक
उड़ाए बगैर,
उस दिन
बनूंगा मैं सही अर्थों में
तुम्हारे प्रेम के काबिल।
मेरी दुःख-बीमारी में
जितना तुम करती हो
सेवा-टहल
उतने प्यार से मैं कर पाऊंगा
तुम्हारी देख-भाल
जिस दिन
तुम पर या अपने नसीब पर
झल्लाए बगैर,
उस दिन
बनूंगा मैं सही अर्थों में
तुम्हारे प्रेम के काबिल।
जितेन्द्र 'कबीर'
संपर्क सूत्र - 7018558314