इस झूठी बल के मद का तुमको क्यों चढ़ा गुरुड़।।
उस केसरी को एक बार सोचो जिसका था जंगल पर राज।
जिसके जबड़े और नाखून से त्रस्त था जंगल साम्राज्य।
दांत और नाख़ून घिसकर अब पकड़ पड़ा उसका कमजोर ।
दाना पानी बीन जीर्ण हो रहे तील तील कर मरने को मजबूर।।
किस बात का अभिमान रे पगले किस बात का तुम्हें गुरुड़।
इस झूठी बल के मद का तुमको क्यों चढ़ा गुरुड़।।
मस्ती की गर बात करें तो गज मस्ती की निराली बात।
कभी रौंदे या कभी चिंघाड़े धूल उड़ाने की निराली बात।
लेकिन जब फँसता कीचड़ में चीख निकलते अपने आप।
तब भेडिये और कुत्ते का शिकार बन जाता वो गजराज।।
किस बात का अभिमान रे पगले किस बात का तुम्हें गुरुड़।
इस झूठी बल के मद का तुमको क्यों चढ़ा गुरुड़।।
फुफकार की वो डरावनी फूंक जब निकालता वो काला नाग।
कंठ गरल के मद में वो करता है मनमानी नाग ।
लिकिन जब काम न करता उसके वो दंत गरल।
गली के बच्चे पत्थर मारे फुफकारे केवल दंत हीन गरल।।
किस बात का अभिमान रे पगले किस बात का तुम्हें गुरुड़।
इस झूठी बल के मद के माध का तुमको क्यों चढ़ा गुरुड़।।
सिख लेने की जरूरत बस सीखो इससे सुन्दर ज्ञान।
बल में मद में अंधा होकर मत करो अपना नुकसान।
मानव बनकर हम आए हैं मानवता का रक्षा अपना कर्म।
समाज उत्थान के लिए जरूरत समर्पित अपना मानव कर्म।।
फिर आने वाले समय में केसरी ,गज ,या नाग जैसा अंत न हो हे मानव प्रधान।
दाना पानी और सेवा संग उपस्थित होगें सकल जहान।।
किस बात का अभिमान रे पगले किस बात का तुम्हें गुरुड़।
इस झूठी बल के मद के माध का तुमको क्यों चढ़ा गुरुड़।।
श्री कमलेश झा
नगरपारा भागलपुर
बिहार 9990891378