जब आ जाता सुन्दर भोर
नील गगन में चमकता भोर l
बिखेर देता सोने सी धूप
कितनी सुन्दर है यह धूप ।
खिली धूप में हंसती हर वस्तु,
जमीं मकान पेड़ पौधे जीव जंतु l
खिली धूप से दिल सबका खिल जाता
गीत गुनगुनाने लगते सहसा l
नजर सामने वृक्ष पर जाती
सामने खूबसूरत तस्वीर आती l
ऊँचा सा वृक्ष हरी हरी पत्तियाँ
भोर में खेलती बच्चों की टोलियां l
वृक्ष पर तीन तोते सुन्दर हरे हरे
भोर में गीत गाते मिश्री भरे l
साथ उनका देती चिड़ियाँ
काँव काँव कौवे उड़ते वहां l
बातें करते गर्दन
हिला हिला कर ।
बातें करते मधुर तो,
मेहमान आने का होता संकेत l
उन तोतों को देखने की आदत ने
बताया बहुत हसीन है प्रकृति l
हर रोज ही ऐसा ही हुआ करता,
हसीन भोर देखे बिना दिल न रहता l
अचानक एक भोर वृक्ष न दिखा
नजर सामने गड़ाई लेकिन ।
न वो नीम का पेड़ न वो तोते दिखे
जिनको देख गीत गुनगुनाते l
बड़ा दुख हुआ वृक्ष न होने पर
भोर तो होती है हर रोज l
तोतो की याद में खो जाते हैँ
कोई तो वो भोर ला दे l
चिड़ियाँ बनी हों उनकी सखियाँ
गूंजे उनकी प्रेम गीत पंक्तियाँ l
वृक्ष होते जा रहे कम l
कैसे दिखे प्रकृति मनोरम l
प्रकृति बचाओ,
जीवन बचाओ l
पूनम पाठक