मां शारदे चरणों में बिठा ले
जरा अपनी वीणा तो बजा दे।
हंस पर माँ तू विराजती
चारों वेद तू है माँ धारती।
शांति की मां तू मूरत है
स्वर कितना खूबसूरत है।
मुक्ता हार माँ तू धारती
श्वेत वस्त्र माँ तू धारती।
बसंत पंचमी है जन्मदिवस
ब्रह्मा के कमंडल से जन्म ।
वीणा के जब तार मां छेड़े
पृथ्वी लहलहा उठी हो जैसे।
निर्जन वातावरण खुश किया
छंद स्वर ज्ञान जन को दिया ।
बागीशवरी भगवती शारदा
वीणा वादिनी वाग्देवी माता ।
स्वामी हरिदास स्वर ज्ञान दिया
अकबर तानसेन संग दर्श किया ।
कोयल कूके मां तेरी कृपा
लता को मधुर स्वर दिया।
कृपा कर माँ कर कल्याण
सद्बुद्धि कर दे मां हिंदुस्तान।
बुद्धि से कोई पथभ्रष्ट ना हो
हर किसी पर मां तेरी ही कृपा हो ।
पूनम पाठक