कुछ ज्यादा हमें अभी जानना नहीं है
जो पता है वही परेशान कर रहा है ।।
कितना विषैला होगा,जो हमने सुना नहीं
क्योंकि हमें देख कर,तो शांति ही छा गयी।।
मिट्टी ने कभी दगा नहीं किया
जैसा बोया वैसा उसने दिया
बस यही तो अंदाज है जिया
जिया देश प्रेम से भर दिया ।।
अक्सर लोगों को वह बात
सुनाई दिया करती नहीं
जो सुनना नहीं चाहते बात
आवाज मुझे आयी नहीं ।।
मौसम नहीं बदलते सताने के लिए
यह प्रकृति का अटल सत्य नियम है
आदमी ही बदलता स्वार्थ के लिए
कर्म भाग्य बनाता धर्म तो स्थिर है ।।
ये जो मैं सांसे भी ले रही हूँ
किन्ही दुआओं का ऐसा असर है
जगत हर अगली सांस पर टिकी है
जिंदगी ऐसा दुआ का असर है ।।
स्वतंत्रता का इतिहास पढ़ा है
फिर भी दुश्मन ने बैर रखा है
स्वार्थ सिद्ध नहीं हो पाता है
एकता का पाठ पढ़ा जाता है ।।
बेटियां भी पसंद की जाती हैँ
इस आधुनिक ज़माने में
कमियां भी तो निकल आती हैँ
उन्हें घर लाने के बाद में ।।
मन्त्र चाहे पढ़ो तुम हज़ार
कितना भी जाओ हरि द्वार
दिल में अगर मैल जमा है
ऐसे प्रभु किसे कब मिला है ।।
जब हम बोलते हैँ वतन
तो नहीं आता है समझ
जाओगे एक दिन समझ
एक दिन नहीं बोलेंगे जब ।।
यह जिंदगी आसान कहाँ थी
खुदा ने जिंदगी आसान कर दी
गगन दिया चाँद तारे जमीं दे दी
वृक्ष हवा जल और मिट्टी दे दी।।
शंख जब गृह में बजता है
हर जीव श्रवण करता है
मिट जाता है सब कालापन
ईश्वर भी हो जाता है प्रसन्न ।।
केश खुले थे ऐसे उसके
जैसे काले बादल उड़ते
केसों को उसने उड़ाया
प्रकृति का पाठ पढ़ाया ।।
प्रदूषण के लिए कितने जिम्मेदार होते हैँ
राजधानी दिल्ली ही प्रदूषित कहलाती है
अमनवीयता कितने लोग दिखा जाते हैँ
राजधानी दिल्ली ही बदनाम हो जाती है ।।
शक्ति मिशन को सफल बनाना है
पहले नारी को एकता में लाना है
बिखरी नहीं हो अगर कहीं भी नारी
बुराई पर होगा सशक्तिकरण भारी ।।
चित्र बदलते हैँ किरदार नहीं
कटु कहते हैँ मीठा जहर नहीं
किसी को हो गर गलत फहमी
इसमें हमारा कोई गुनाह नहीं ।।
राम की नगरी राम का देश
न बनाओ तुम नकली भेष
प्रभु सब कुछ रहा है देख
चाहे कोई तुला हो या मेष ।।
पूनम पाठक