यह समझाना बंद करो।
अपने हाथों अपने घर में,
आग लगाना बंद करो।
हम कोई नादान नहीं,
हम पढ़े लिखे इंसान सरस,
दूसरे के कंधे पर रखकर,
बंदूक चलाना बंद करो।।
हंगामे के बहाने तुम,
सियासत क्यों चमकाते हो?
भीड़ जुटाकर ड्रामा करते,
रोते और चिल्लाते हो।
देश के अच्छे कामों में तुम,
टांग अड़ाना बंद करो।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा,
यह समझाना बंद करो।।
-गौरीशंकर पांडेय'सरस।