लिखती हूँ लफ्ज़ नूरानी,
हर यादें नयी पुरानी,
कुछ आज मेरा पन्नों पर
कुछ बीती बात ज़ुबानी!
कुछ ख़्वाब लिखे हैं कल के,
उम्मीद सुरीले पल के,
कुछ जीवन की सच्चाई, कुछ इस दिल की नादानी।
लिखती हूँ लफ्ज़ नूरानी, हर यादें नयी पुरानी!
कुछ पल ममता के साये में,
एक पल जब आंचल छुट गया,
वो पल, जब बचपन हंसता था,
एक पल जब बचपन रूठ गया!
लिखती हूँ मैं वो सारे पल, जिसमें है मेरी कहानी,
लिखती हूँ लफ्ज़ नूरानी, हर यादें नयी पुरानी!
वो पल, जब सबने ठुकराया,
एक पल, जब मन ही मीत बना।
वो पल, जिसमें सब बिखर गया,
एक पल में जीवन गीत बना!
मैं सजा रही स्मृतियों में, हर पल से मिली निशानी!
लिखती हूँ लफ्ज़ नूरानी, हर यादें नयी पुरानी!
कृति चौबे