बैठे- बैठे खुदा का गुणगान किजिए,
हिन्दुस्तानी होने का अभिमान कीजिए।
अपनाइयत की खुशबू फैलेगी हर तरफ,
छोटों को स्नेह बड़ों का सम्मान कीजिए।
आप शिखर पर पहुंच गए तो क्या कहने,
मगर जमीन वालों का न अपमान किजिए।
बड़प्पन का एक ही पहचान है दोस्तों,
व्यवहार हर एक से समान कीजिए।
बेआवाज लाठी की मार पड़ेगी दोस्तों,
बेखता न किसी के सर इल्जाम कीजिए।
एक ही तो मालिक है इस संसार में,
बेवजह ना राम, रहमान कीजिए।
सर उठाकर नजरें दौड़ाइए दो स्तओ,
अच्छे बुरे की अब तो पहचान कीजिए।
नूरफातिमा खातून "नूरी"