हाँ इसीलिए मैं लिखता हूँ


समाज की विषमता देखकर , 

भ्रष्टाचार में लिप्त जन-जन को देखकर

 कुरीति और अधीरता को देखकर, 

मानव से मानवता को भागता देख कर 

मन के वेदना को लिखता हूँ 


हाँ इसीलिएमैं लिखता हूँ 

हाँ इसीलिए तो लिखता हूँ ll 


 राजनीति के गंदे खेल को देखकर , 

लूट खसोट फैला देखकर ,

समाज को जलता देख कर , 

जाति धर्म को आपस में लड़ते देख कर,

 मन दुखी करता हूँ 

हाँ इसीलिए मैं लिखता हूँ 

हाँ इसीलिए तो लिखता हूँ ll 


 छल और प्रपंच की लपटों को देखकर,

 भाई को भाई से जलता देखकर ,

पिता पुत्र के द्वेष को देखकर , 

वृद्ध जानो को बेबश देखकर ,

एक सफल समाज की कामना करता हूँ 

हाँ इसीलिए लिखता हूँ 

हाँ इसीलिए तो लिखता हूँ ll 


 नारी पर हो रहे अत्याचार को देखकर ,

 सरकार की विफलता को देखकर,

 बहन बेटी की प्रतिष्ठा और मान का ख्याल कर,

 समाज को कुंभ करनी नींद से जगाना चाहता हूँ 

हां इसीलिएमैं लिखता हूं 

हां इसीलिए तो लिखता हूं ll 


 किसान की दुर्दशा देखकर , 

शिक्षा का खस्ताहाल देखकर ,

बच्चों के भविष्य पर चिंतित होकर,

 फिर कलम उठाता हूँ 

हाँ इसीलिएमैं लिखता हूँ

 हाँ इसीलिए तो लिखता हूँ ll 


आमजन में जागरूकता फैलाकर , 

आपस के सौहार्द को बढ़ाकर,

  राजनीति को साफ स्वच्छ बनाकर,

 देश के गद्दारों को उसका औकात बता कर 

रामराज्य की कल्पना मन में रखता हूँ 

हाँ इसीलिए मैं लिखता हूँ 

हाँ इसीलिए तो लिखता हूँ ll


 स्वर्णिम अवसर की आस लिए ,

दबे कुचले को साथ लिए ,

नौजवान को सजग किए, 

राष्ट्रप्रेम को साथ लिए 

एक अलख जगाने की कोशिश करता हूँ 

हाँ इसीलिएमैं लिखता हूँ

हाँ इसीलिए तो लिखता हूँ ll


कवि कमलेश झा

नगरपारा भागलपुर

बिहार 9990891378