एक आतंकवादी मुझसे बोला,
तुम भी आतंकवादि बन जाओ।
मैं आतंकवादी से बोला,
मैं तो पहले से ही आतंकवादी हूं।।
आतंकवादी ने मुझेसे पूछा,
तुमने कितनो को मारा?
कितनो का घर उजाङा?
कितनो को अनाथ किया?
क्या तुमने ये सब एके-47 से किया?
आतंकवादी से मैं बोला,
मैंने न जाने कितनो को जगाया।
कितनो का घर बसाया,
कितनो को सनाथ किया,
मैंने ये सब अपनी कलम से किया।।
तुममें और मुझमे फर्क यही है,
तुम हथियार से और मैं कलम से।
हम दोनों ही आतंकवादी हैं,
हम दोनों ने आतंक मचाया।।
प्रियंका पाण्डेय त्रिपाठी
प्रयागराज उत्तरप्रदेश